संपूर्ण सुंदरकांड पाठ: हिंदी में अर्थ सहित, चौपाई और दोहा PDF
सुंदरकांड, रामायण का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसे भक्तों द्वारा विशेष श्रद्धा और सम्मान के साथ पढ़ा जाता है। इस लेख में, हम आपको सुंदरकांड पाठ हिंदी में अर्थ सहित, संपूर्ण सुंदरकांड चौपाई PDF, सुंदरकांड पाठ संस्कृत में PDF, संपूर्ण सुंदरकांड पाठ और संपूर्ण सुंदरकांड चौपाई दोहा सहित के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करेंगे।
सुंदरकांड पाठ हिंदी में अर्थ सहित
सुंदरकांड पाठ वाल्मीकि रामायण का पाँचवा अध्याय है। इस अध्याय में, हनुमान जी का लंका में सीता जी की खोज करने का वर्णन किया गया है। हिंदी में अर्थ सहित सुंदरकांड पाठ को पढ़ने से भक्तों को उनके जीवन में सामर्थ्य, धैर्य, बुद्धि और सुख-शान्ति प्राप्त होती है।
संपूर्ण सुंदरकांड चौपाई PDF
सुंदरकांड की चौपाई भक्तों के द्वारा गुणगान के लिए गायी जाती है। इसके बोल भक्ति, वीरता और शक्ति की भावना बोध कराते हैं। संपूर्ण सुंदरकांड चौपाई PDF फ़ाइल मेने अपलोड की है आप आसानी से डाउनलोड कर सकते है
||श्लोक||
शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं
ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम् ।
रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं
वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्।।1।।
नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये
सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा।
भक्तिं प्रयच्छ रघुपुङ्गव निर्भरां मे
कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च।।2।।
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।3।।
जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए।।
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई।।
जब लगि आवौं सीतहि देखी। होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी।।
यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा। चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा।।
सिंधु तीर एक भूधर सुंदर। कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर।।
बार बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी।।
जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता।।
जिमि अमोघ रघुपति कर बाना। एही भाँति चलेउ हनुमाना।।
जलनिधि रघुपति दूत बिचारी। तैं मैनाक होहि श्रमहारी।।
दो0- हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम।।1।।